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कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने पप्पू यादव से नामांकन वापस लेने की सलाह दी है

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने पप्पू यादव से नामांकन वापस लेने की सलाह दी है ।

नन्द कुमार सिंह/ब्यूरो, राष्ट्रीयप्रसार

बिहार पूर्णिया लोकसभा 2024

पप्पू यादव ने पूर्णिया सीट से नामांकन दाखिल किया है । महागठबंधन में ये सीट कांग्रेस को नहीं मिली है । इस सीट पर *आरजेडी से पूर्व मंत्री बीमा भारती को उम्मीदवार* बनाया है ।

बीमा भारती 2020 में जेडीयू के टिकट पर विधायक चुनी गई थी । आरजेडी में शामिल होने के बाद नामांकन भरने से पहले बीमा भारती ने विधायकी से इस्तीफा दिया।

बीमा भारती अति पिछड़ी बिरादरी की गंगोता जाति से आती हैं । बीमा भारती 2000में पहली बार निर्दलीय विधायक बनीं । नीतीश सरकार में मंत्री रहीं । बीमा भारती के पति अवधेश मंडल इलाके के बाहुबली माने जाते हैं।

बीमा भारती को लोकसभा चुनाव लड़ाकर लालू यादव सीमांचल इलाके में अति पिछड़ी जाति के वोट बैंक पर नीतीश कुमार के एकछत्र राज को तोड़ना चाहते हैं । इस इलाके में अति पिछड़ी जाति के वोटरों की बहुलता है । 2019 की ही बात करें तो सुपौल, कटिहार, अररिया, भागलपुर सीट पर अति पिछड़ी जाति के उम्मीदवार जीते थे।

बिहार में अति पिछड़ी जाति की आबादी 36 फीसदी है । जो कि सबसे बड़ा वर्ग समूह है । नीतीश कुमार ने सीएम बनने के बाद पिछड़ी जातियों के समूह तो दो भागों में बांटा और उसी हिसाब से विकास की योजनाएं बनाई । इसका सियासी फायदा भी उन्हें मिला और अति पिछड़ी जाति के वोटरों पर उनकी पकड़ मजबूत मानी गई । इसी वोट बैंक के आधार पर वो बीजेपी और आरजेडी से सियासी बारगेनिंग करते रहे हैं ।
लालू यादव बीमा भारती के साथ ही इस इलाके में एक दो और अति पिछड़ी जाति के कैंडिंडेट उतारने जा रहे हैं ताकि नीतीश कुमार के वोट बैंक को तोड़ा जाए।
लालू यादव को पता है कि अब सिर्फ मुस्लिम यादव समीकरण के दम पर 2025 का विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकते । इस वक्त उनको अति पिछड़ी जाति के वोट बैंक में स्कोप दिख रहा है।

बीमा भारती को टिकट देकर वापस लेना उनके लिये संभव नहीं रहने वाला था क्योंकि इससे सियासी नुकसान हो सकता था । लिहाजा उन्होंने पप्पू यादव के दबाव में आना मंजूर नहीं किया।

अब अगर पप्पू यादव और बीमा भारती दोनों ही मैदान में बने रहते हैं तो फिर महागठबंधन के लिये मुश्किल होगी । जबकि जेडीयू उम्मीदवार के लिये भी राह आसान नहीं होगी । क्योंकि बीमा भारती सिर्फ आरजेडी का वोट नहीं लेगी बल्कि जिस वोट के आधार पर 2014, 2019 में जेडीयू उम्मीदवार जीतता रहा है वो वोट बैंक भी टूटेगा । फिलहाल पूर्णिया की लड़ाई दिलचस्प मोड़ पर है।

पूर्णिया में विधानसभा की जो 6 सीटें हैं उनमें से 2020 में बीजेपी-जेडीयू को 5 सीट मिली थी, 1 सीट कांग्रेस जीती थी।
2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू के संतोष कुशवाहा को 6 लाख 32 हजार और कांग्रेस उम्मीदवार को 3 लाख 69 हजार वोट मिले थे । मतलब 2.5 लाख से ज्यादा वोट से जेडीयू को जीत मिली थी । पिछली बार कांग्रेस से पप्पू सिंह उम्मीदवार थे जो इस बार मैदान में नहीं हैं । इस सीट पर पहली बार लालू यादव ने लालटेन सिंबल पर उम्मीदवार उतारा है । पप्पू यादव यहां से निर्दलीय भी चुनाव जीत चुके हैं । पिछली बार कांग्रेस से लड़ने वाले पप्पू सिंह दो बार इस सीट से बीजेपी के सांसद भी रह चुके हैं । लोकसभा चुनाव से गणित विधानसभा को साधना है।

करीब 7 लाख मुस्लिम वोटर हैं, 3 से 3.5 लाख दलित-आदिवासी, यादव करीब 1 से 1.5 लाख हैं । 3 लाख सवर्ण वोटर हैं । 2 से 2.5 लाख वोट अति पिछड़ी जाति के हैं।

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